Sunday, 26 August 2012
असफलताओं से निराश नही होना चाहिये
- गुनाह है मेरा इतना..
जो तुमने मुझे दिया..मैंने शुक्रिया नहीं किया..
जो तुमने मुझसे लिया..मैंने गीला ही किया साईं
- किसी मंदिर की दीवार पर लिखा था - जब अपने लिए दुआ करो तो दुसरो को भी याद किया करो..क्या पता उसके नसीब की ख़ुशी आपकी एक दुआ के इंतज़ार में हो
- कभी भी बीते हुए कल की निराशा को अपने आने वाले कल के सपनों को बर्बाद मत करने दीजिए जीवन मै कभी भी हिम्मत नही हारे >
एक जाने माने संत ने हाथ मे पाँच सौ का नोट लहराते हुए अपने प्रवचन शुरू किया वहाँ बैठे सैकड़ों श्रद्धालुओ से उन्होंने पूछा ये पाँच सौ का नोट कौन लेना चाहता है बहुत से श्रद्धालुओं ने एक के बाद एक हाथ उठाना शुरू कर दिया उन्होंने कहा मै इस नोट को किसी एक को दूँगा पर उससे पहले मुझे इसे अपनी
मुट्टी मे से निचोडने
दीजिए अब कौन है जो अब भी इसे लेना चाहेगा अभी भी सभी के हाथ उपर थे इसके
बाद नोट को गिराकर पैरों से कुचला अब नोट बेहद गंदा हो गया उन्होंने फिर
कहा कोन लेना चाहेगा सभी के हाथ अभी भी ऊपर थे तो संत बोले मैने इस नोट के
साथ इतना कुछ किया फिर भी आप इसे लेना चाहते हो क्योंकि इसकी कीमत घटी नही
जीवन मे कई बार हम गिरते है हमारे निर्णय हमें मिट्टी मे मिला देते है ऐसा
लगने लगता है कि हमारी कोई कीमत नही है लेकिन चाहे जो हो या भविष्य मे जो
हो जाए आपका मुल्य कम नही होता है याद रखे ईश्वर ने सबसे कीमती चीज दी है
वो है आपका जीवन...
Wednesday, 22 August 2012
हिम्मत हार कर ईश्वर को दोष देने की जरूरत नहीं
पुराने
जमाने की बात है। एक मजदूर बिल्कुल अकेला था। कभी आवश्यकता होती तो मजदूरी
कर लेता तो कभी यूं ही रह जाता। एक बार उसके पास खाने को कुछ नहीं था। वह
घर से मजदूरी ढूंढने के लिए निकल पड़ा। गर्मी का मौसम था और धूप बहुत तेज
थी। उसे एक व्यक्ति दिखा जिसने एक भारी संदूक उठा रखा था। उसने उस व्यक्ति
से पूछा- क्या आपको मजदूर चाहिए? उस व्यक्ति को मजदूर की आवश्यकता भी थी,
इसलिए उसने संदूक मजदूर को उठाने के ल
िए दे
दिया। संदूक को कंधे पर रखकर मजदूर चलने लगा। गरीबी के कारण उसके पैरों
में जूते नहीं थे। सड़क की जलन से बचने के लिए कभी-कभी वह किसी पेड़ की
छाया में थोड़ी देर खड़ा हो जाता था। पैर जलने से वह मन-ही-मन झुंझला उठा
और उस व्यक्ति से बोला- ईश्वर भी कैसा अन्यायी है। हम गरीबों को जूते पहनने
लायक पैसे भी नहीं दिए। मजदूर की बात सुनकर व्यक्ति खामोश रहा।
दोनों थोड़ा आगे बढ़े ही थे कि तभी उन्हें एक ऐसा व्यक्ति दिखा जिसके पैर नहीं थे और वह जमीन पर घिसटते हुए चल रहा था। यह देखकर वह व्यक्ति मजदूर से बोला- तुम्हारे पास तो जूते नहीं है, परंतु इसके तो पैर ही नहीं है। जितना कष्ट तुम्हें हो रहा है, उससे कहीं अधिक कष्ट इस समय इस व्यक्ति को हो रहा होगा। तुमसे भी छोटे और दुखी लोग संसार में हैं। तुम्हें जूते चाहिए तो अधिक मेहनत करो। हिम्मत हार कर ईश्वर को दोष देने की जरूरत नहीं। ईश्वर ने नकद पैसे तो आज तक किसी को भी नहीं दिए, परंतु मौके सभी को बराबर दिए हैं। उस व्यक्ति की बातों का मजदूर पर गहरा असर हुआ। वह उस दिन से अपनी कमियों को दूर कर अपनी योग्यता व मेहनत के बल पर बेहतर जीवन जीने का प्रयास करने लगा।
दोनों थोड़ा आगे बढ़े ही थे कि तभी उन्हें एक ऐसा व्यक्ति दिखा जिसके पैर नहीं थे और वह जमीन पर घिसटते हुए चल रहा था। यह देखकर वह व्यक्ति मजदूर से बोला- तुम्हारे पास तो जूते नहीं है, परंतु इसके तो पैर ही नहीं है। जितना कष्ट तुम्हें हो रहा है, उससे कहीं अधिक कष्ट इस समय इस व्यक्ति को हो रहा होगा। तुमसे भी छोटे और दुखी लोग संसार में हैं। तुम्हें जूते चाहिए तो अधिक मेहनत करो। हिम्मत हार कर ईश्वर को दोष देने की जरूरत नहीं। ईश्वर ने नकद पैसे तो आज तक किसी को भी नहीं दिए, परंतु मौके सभी को बराबर दिए हैं। उस व्यक्ति की बातों का मजदूर पर गहरा असर हुआ। वह उस दिन से अपनी कमियों को दूर कर अपनी योग्यता व मेहनत के बल पर बेहतर जीवन जीने का प्रयास करने लगा।
Sunday, 19 August 2012
इश्वर पर भरोसा
जाड़े
का दिन था और शाम होने आयी । आसमान में बादल छाये थे । एक नीम के पेड़
पर बहुत से कौए बैठे थे । वे सब बार बार काँव-काँव कर रहे थे और एक दूसरे
से झगड़ भी रहे थे । इसी समय एक मैना आयी और उसी पेड़ की एक डाल पर बैठ गई
। मैना को देखते ही कई कौए उस पर टूट पड़े ।
बेचारी मैना ने कहा – बादल बहुत है इसीलिये आज अँधेरा हो गया है । मैं अपना घोंसला भूल गयी हूँ इसीलिये आज रात मुझे यहाँ बैठने दो ।
कौओं ने कहा – नहीं यह पेड़ हमारा है तू यहाँ से भाग जा ।
मैना बोली – पेड़ तो सब इश्वर के बनाये हुए है । इस सर्दी में यदि वर्षा पड़ी और ओले पड़े तो इश्वर ही हमें बचा सकते है । मैं बहुत छोटी हूँ तुम्हारी बहिन हूँ, तुम लोग मुझ पर दया करो और मुझे भी यहाँ बैठने दो ।
कौओं ने कहा हमें तेरी जैसी बहिन नहीं चाहिये । तू बहुत इश्वर का नाम लेती है तो इश्वर के भरोसे यहाँ से चली क्यों नहीं जाती । तू नहीं जायेगी तो हम सब तुझे मारेंगे ।
कौए तो झगड़ालू होते ही है, वे शाम को जब पेड़ पर बैठने लगते है तो उनसे आपस में झगड़ा किये बिना नहीं रहा जाता वे एकदूसरे को मारते है और काँव काँव करके झगड़ते रहते है । कौन कौआ किस टहनी पर रात को बैठेगा । यह कोई झटपट तय नहीं हो जाता । उनमें बार बार लड़ाई होती है, फिर किसी दूसरी चिड़या को वह पेड़ पर कैसे बैठने दे सकते है । आपसी लड़ाई छोड़ कर वे मैना को मारने दौड़े ।
कौओं को काँव काँव करके अपनी ओर झपटते देखकर बेचारी मैना वहाँ से उड़ गयी और थोड़ी दूर जाकर एक आम के पेड़ पर बैठ गयी ।
रात को आँधी आयी, बादल गरजे और बड़े बड़े ओले बरसने लगे । बड़े आलू जैसे ओले तड़-भड़ बंदूक की गोली जैसे गिर रहे थे । कौए काँव काँव करके चिल्लाये । इधर से उधर थोड़ा बहुत उड़े परन्तु ओलो की मार से सब के सब घायल होकर जमीन पर गिर पड़े । बहुत से कौए मर गये ।
मैना जिस आम पर बैठी थी उसकी एक डाली टूट कर गिर गयी । डाल भीतर से सड़ गई थी और पोली हो गई थी । डाल टूटने पर उसकी जड़ के पास पेड़ में एक खोंडर हो गया । छोटी मैना उसमें घुस गयी और उसे एक भी ओला नहीं लगा ।
सबेरा हुआ और दो घड़ी चढने पर चमकीली धूप निकली । मैंना खोंडर में से निकली पंख फैला कर चहक कर उसने भगवान को प्रणाम किया और उड़ी ।
पृथ्वी पर ओले से घायल पड़े हुए कौए ने मैना को उड़ते देख कर बड़े कष्ट से पूछा – मैना बहिन तुम कहाँ रही तुमको ओलो की मार से किसने बचाया ।
मैना बोली मैं आम के पेड़ पर अकेली बैठी थी और भगवान की प्रार्थना करती थी । दुख में पड़े असहाय जीव को इश्वर के सिवा कौन बचा सकता है ।
लेकिन इश्वर केवल ओले से ही नहीं बचाते और केवल मैना को ही नहीं बचाते । जो भी इश्वर पर विश्वास करता है और इश्वर को याद करता है, उसे इश्वर सभी आपत्ति-विपत्ति में सहायता करते है और उसकी रक्षा करते है ।
बेचारी मैना ने कहा – बादल बहुत है इसीलिये आज अँधेरा हो गया है । मैं अपना घोंसला भूल गयी हूँ इसीलिये आज रात मुझे यहाँ बैठने दो ।
कौओं ने कहा – नहीं यह पेड़ हमारा है तू यहाँ से भाग जा ।
मैना बोली – पेड़ तो सब इश्वर के बनाये हुए है । इस सर्दी में यदि वर्षा पड़ी और ओले पड़े तो इश्वर ही हमें बचा सकते है । मैं बहुत छोटी हूँ तुम्हारी बहिन हूँ, तुम लोग मुझ पर दया करो और मुझे भी यहाँ बैठने दो ।
कौओं ने कहा हमें तेरी जैसी बहिन नहीं चाहिये । तू बहुत इश्वर का नाम लेती है तो इश्वर के भरोसे यहाँ से चली क्यों नहीं जाती । तू नहीं जायेगी तो हम सब तुझे मारेंगे ।
कौए तो झगड़ालू होते ही है, वे शाम को जब पेड़ पर बैठने लगते है तो उनसे आपस में झगड़ा किये बिना नहीं रहा जाता वे एकदूसरे को मारते है और काँव काँव करके झगड़ते रहते है । कौन कौआ किस टहनी पर रात को बैठेगा । यह कोई झटपट तय नहीं हो जाता । उनमें बार बार लड़ाई होती है, फिर किसी दूसरी चिड़या को वह पेड़ पर कैसे बैठने दे सकते है । आपसी लड़ाई छोड़ कर वे मैना को मारने दौड़े ।
कौओं को काँव काँव करके अपनी ओर झपटते देखकर बेचारी मैना वहाँ से उड़ गयी और थोड़ी दूर जाकर एक आम के पेड़ पर बैठ गयी ।
रात को आँधी आयी, बादल गरजे और बड़े बड़े ओले बरसने लगे । बड़े आलू जैसे ओले तड़-भड़ बंदूक की गोली जैसे गिर रहे थे । कौए काँव काँव करके चिल्लाये । इधर से उधर थोड़ा बहुत उड़े परन्तु ओलो की मार से सब के सब घायल होकर जमीन पर गिर पड़े । बहुत से कौए मर गये ।
मैना जिस आम पर बैठी थी उसकी एक डाली टूट कर गिर गयी । डाल भीतर से सड़ गई थी और पोली हो गई थी । डाल टूटने पर उसकी जड़ के पास पेड़ में एक खोंडर हो गया । छोटी मैना उसमें घुस गयी और उसे एक भी ओला नहीं लगा ।
सबेरा हुआ और दो घड़ी चढने पर चमकीली धूप निकली । मैंना खोंडर में से निकली पंख फैला कर चहक कर उसने भगवान को प्रणाम किया और उड़ी ।
पृथ्वी पर ओले से घायल पड़े हुए कौए ने मैना को उड़ते देख कर बड़े कष्ट से पूछा – मैना बहिन तुम कहाँ रही तुमको ओलो की मार से किसने बचाया ।
मैना बोली मैं आम के पेड़ पर अकेली बैठी थी और भगवान की प्रार्थना करती थी । दुख में पड़े असहाय जीव को इश्वर के सिवा कौन बचा सकता है ।
लेकिन इश्वर केवल ओले से ही नहीं बचाते और केवल मैना को ही नहीं बचाते । जो भी इश्वर पर विश्वास करता है और इश्वर को याद करता है, उसे इश्वर सभी आपत्ति-विपत्ति में सहायता करते है और उसकी रक्षा करते है ।
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